हिन्दी साहित्य के इतिहास की पद्धतियाँ
*हिन्दी साहित्य के इतिहास के लेखन की पद्धतियाँ*
1-वर्णानुक्रम पद्धति-
>इसमें कवियों एवं लेखकों का परिचय उनके नाम के वर्णों के अनुरूप किया जाता है|
>शिवसिंह सेंगर तथा गार्सा द तॉसी ने इस पद्धति का प्रयोग किया|
>इस पद्धति में लिखे गये ग्रंथ अनुपयोगी एवं दोषपूर्ण माने जाते हैं|
2-कालानुक्रम पद्धति
> इसमें रचनाकार की जन्मतिथि को आधार बनाकर क्रम निर्धारित किया जाता है|
> जॉर्ज ग्रियर्सन एवं मिश्रबंधुओं ने इस पद्धति का प्रयोग किया|
3-वैज्ञानिक पद्धति- >इसमें तथ्यों को क्रमबद्ध एवं व्यवस्थित करके प्रस्तुत किया जाता है|
>यह भी दोषपूर्ण पद्धति है क्योंकि इतिहास लेखन में तथ्यों की नहीं बल्कि व्याख्या व विश्लेषण की आवश्यकता होती है|
4-विधेयवादी पद्धति-
>यह सबसे महत्वपूर्ण है|
>इस पद्धति का आविष्कार 'तेन' ने किया| उन्होंने इसे तीन शब्दों में बाँटा- 1-जाति, 2-वातावरण,3- क्षण|
> इस पद्धति का प्रयोग आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने किया|
1-वर्णानुक्रम पद्धति-
>इसमें कवियों एवं लेखकों का परिचय उनके नाम के वर्णों के अनुरूप किया जाता है|
>शिवसिंह सेंगर तथा गार्सा द तॉसी ने इस पद्धति का प्रयोग किया|
>इस पद्धति में लिखे गये ग्रंथ अनुपयोगी एवं दोषपूर्ण माने जाते हैं|
2-कालानुक्रम पद्धति
> इसमें रचनाकार की जन्मतिथि को आधार बनाकर क्रम निर्धारित किया जाता है|
> जॉर्ज ग्रियर्सन एवं मिश्रबंधुओं ने इस पद्धति का प्रयोग किया|
3-वैज्ञानिक पद्धति- >इसमें तथ्यों को क्रमबद्ध एवं व्यवस्थित करके प्रस्तुत किया जाता है|
>यह भी दोषपूर्ण पद्धति है क्योंकि इतिहास लेखन में तथ्यों की नहीं बल्कि व्याख्या व विश्लेषण की आवश्यकता होती है|
4-विधेयवादी पद्धति-
>यह सबसे महत्वपूर्ण है|
>इस पद्धति का आविष्कार 'तेन' ने किया| उन्होंने इसे तीन शब्दों में बाँटा- 1-जाति, 2-वातावरण,3- क्षण|
> इस पद्धति का प्रयोग आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने किया|
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